ओलिम्पिक खेलों की कुश्ती मैट से एक अच्छी खबर आई है। भारत के सुशील कुमार 66 किलोग्राम वर्ग के अर्न्तगत रेबोचार्ज मुकाबले में रूस के बेत्रोव को तीन राउंड में से दो राउंड जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुँचे और वहाँ उन्होंने कजाकिस्तान के पहलवान को हराकर काँस्य पदक जीता।
काँस्य पदक के लिए रेबोचार्च के मुकाबले लड़े जाते हैं और सुशील क्वार्टर फाइनल कें कजाकिस्तान के पहलवान को धराशायी करने में सफल रहे। 1952 के बाद यह पहला अवसर है जबकि कुश्ती में भारत ने काँस्य पदक जीता है। उस वक्त केडी जाधव ने यह कामयाबी हासिल की थी। रेबोचार्ज के मुकाबले तब होते हैं, जब किसी पहलवान का स्वर्ण और पदक के लिए पहुँच जाता है, तब उस पहलवान से परास्त हुए पहलवानों के बीच काँस्य पदक के लिए मुकाबला लड़ा जाता है। आज सुबह सुशील जिस पहलवान से परास्त हुए थे, उसके फाइनल में पहुँचने के साथ ही उनका रेबोचार्ज के लिए मुकाबला तय हो गया था। रेबोचार्ज में सुशील रूसी पहलवान बैत्रोव पर पूरी तरह हावी रहे और उन्होंने 3 राउंड में से 2 राउंड जीतकर क्वार्टर फाइनल की सीट बुक की थी और उन्हें काँस्य पदक जीतने के लिएहर हाल में कजाक पहलवान को हराना था। चूँकि नियमों की अधिक जानकारी पहलवानों को नहीं थी, लिहाजा यह माना जा रहा था कि कुश्ती में अब भारत की आखिरी उम्मीद राजीव तोमर ही बचे हैं, लेकिन सुशील कुमार की जीत ने एक बार फिर पदक की आस जगा दी थी। सुशील ने अपने हुनर से इन उम्मीदों को जाया नहीं होने दिया। जैसे ही वह काँस्य पदक जीते वैसे ही भारतीय खेमे में खुशी की लहर छा गई और महाबली सतपाल ने उन्हें सीने से लगा लिया। यहाँ पर याद रखने वाली बात यह है कि सुशील की चुनौती सिर्फ काँस्य पदक के लिए थी क्योंकि फाइनल में स्वर्ण और रजत के दावेदार पहले ही तय हो चुके थे। सनद रहे कि सुशील कुमार को क्वालीफिकेशन राउंड में बाय मिला था। पूर्व क्वार्टर फाइनल में उन्हें यूकेन के एंद्रेई स्टाडनिक ने 8-3 से शिकस्त दी। ओलिम्पिक कुश्ती में भारतीय पहलवान राजीव तोमर का अभियान भी अभी बाकी हैं, जो 120 किलोग्राम भार वर्ग में चुनौती पेश करेंगे।
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