रविवार, 21 दिसंबर 2008

डी जी आलोक बिल्लोरे जी के मेल से A German's View on Islam

A man, whose family was German aristocracy prior to World War II, owned a number of large industries and estates. When asked how many German people were true Nazis, the answer he gave can guide our attitude toward fanaticism. 'Very few people were true Nazis,' he said, 'but many enjoyed the return of German pride, and many more were too busy to care. I was one of those who just thought the Nazis were a bunch of fools. So, the majority just sat back and let it all happen. Then, before we knew it, they owned us, and we had lost control, and the end of the world had come. M y family lost everything. I ended up in a concentration camp and the Allies destroyed my factories.'We are told again and again by 'experts' and 'talking heads' that Islam is the religion of peace, and that the vast majority of Muslims just want to live in peace. Although this unqualified assertion may be true, it is entirely irrelevant. It is meaningless fluff, meant to make us feel better, and meant to somehow diminish the spectra of fanatics rampaging across the globe in the name of Islam.The fact is that the fanatics rule Islam at this moment in history. It is the fanatics who march. It is the fanatics who wage any one of 50 shooting wars worldwide.It is the fanatics who systematically slaughter Christian or tribal groups throughout Africa and are gradually taking over the entire continent in an Islamic wave.It is the fanatics who bomb, behead, murder, or honor- kill.It is the fanatics who take over mosque after mosque.It is the fanatics who zealously spread the stoning and hanging of rape victims and homosexuals. It is the fanatics who teach their young to kill and to become suicide bombers.The hard quantifiable fact is that the peaceful majority, the 'silent majority,' is cowed and extraneous.Communist Russia was comprised of Russians who just wanted to live in peace, yet the Russian Communists were responsible for the murder of about 20 million people. The peaceful majority were irrelevant.China 's huge population was peaceful as well, but Chinese Communists managed to kill a staggering 70 million people.The average Japanese individual prior to World War II was not a warmongering sadist. Yet, Japan murdered and slaughtered its way across South East Asia in an orgy of killing that included the systematic murder of 12 million Chinese civilians; most killed by sword, shovel, and bayonet.And, who can forget Rwanda , which collapsed into butchery. Could it not be said that the majority of Rwandans were 'peace loving'?History lessons are often incredibly simple and blunt, yet for all our posers of reason we often miss the most basic and uncomplicated of points: Peace-loving Muslims have been made irrelevant by their silence.Peace-loving Muslims will become our enemy if they don't speak up, because like my friend from Germany , they will awaken one day and find that the fanatics own them, and the end of their world will have begun.Peace-loving Germans, Japanese, Chinese, Russians, Rwandans, Serbs, Afghans,Indians, Iraqis, Palestinians, Somalis, Nigerians, Algerians, and many others have died because the peaceful majority did not speak up until it was too late.As for us who watch it all unfold, we must pay attention to the only group that counts; the fanatics who threaten our way of life.Lastly, anyone who doubts that the issue is serious and just deletes this email without sending it on, is contributing to the passiveness that allows the problems to expand. So, extend yourself a bit and send this on and on and on! Let us hope that thousands, worldwide, read this and think about it, and send it on - before it's too late.Emanuel Tanay, M ...D.

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

रविवार, 26 अक्तूबर 2008

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

सोमवार, 6 अक्तूबर 2008

चित्रकला प्रतियोगिता के पुरूस्कार विजेता

जूनियर ग्रुप


सीनियर ग्रुप



शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

अभिनव बिंद्रा : परिचय




बीजिंग की धरती पर जब राष्ट्रीय धुन 'जन गण मन' की धुन प्रारंभ हुई, तो देश की 1 अरब से ज्यादा आबादी का सीना चौड़ा हो गया और तमाम खेलप्रेमियों में यह आस भी जगी कि नहीं...हमारे देश के खिलाड़ी भी ओलिम्पिक से सोना बटोर सकते हैं और इसे जीता भारत के अभिनव बिंद्रा ने

अभिनव के उद्योगपति पिता एएस बिंद्रा और माँ बबली बिंद्रा के असीम प्रोत्साहन ने उनके इस शौक में कोई बाधा नहीं आने दी और पुत्र ने अपने दृढ़ निश्चय से पदक हासिल किया ।

अभिनव बिंद्रा : परिचय


* 28 सितम्बर 1983 में देहरादून में जन्म


* 15 बरस की उम्र से निशानेबाजी की शुरुआत


* 1998 में राष्ट्रमंडलीय खेलों भाग लेने वाले सबसे युवा निशानेबाज


* 2000 के सिडनी ओलिम्पिक खेलों में हिस्सा लेने वाले सबसे युवा निशानेबाज


* 2001 में निशानेबाजी में अर्जुन पुरस्कार


* 2001 में मैनचेस्टर में आयो‍जित निशानेबाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक


* 2002 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार


* 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों की 10 मीटर एयर रायफल के युगल में स्वर्ण, एकल में रजत


* 2004 के एथेंस ओलिम्पिक में ‍ओलिम्पिक रिकॉर्ड, लेकिन पदक जीतने से चूके


* 2008 के बीजिंग ओलिम्पिक खेलों की 10 मीटर एयर रायफल में स्वर्ण पदक

भारत को मिडिलवेट मुक्केबाजी का कांस्य

बधाई विजेंदर,
पूरी तैयारी और आक्रामक तरीके के साथ लड़ने के बावजूद मिडिलवेट मुक्केबाजी में विजेंदर तुम्हारे पंच और फुटवर्क में तालमेल के अभाव ने काँसे को चाँदी में तब्दील होने नहीं दिया। क्यूबा के विश्व-स्तरीय घुंसेबाज द्वारा अनुभवों के आधार पर बढ़त कायम करने के बावजूद तुम खूब लड़े। इतिहास तो तुमने लिखा ही है भारतीय मुक्केबाजी का।
क्यूबा का मुक्केबाज एमिलियो बेयूक्स कोरिया 8-5 अंकों के साथ मुकाबला जीतने में सफल रहा। एमिलियो के पिता ने 1970 के दशक में मुक्केबाजी की दुनिया में काफी धूम मचाकर 1972 के म्यूनिख ओलिम्पिक का स्वर्ण पदक जीता है। ये बात उसकी विरासत को दर्शाती है।
हमारे खिलाडी, चाहे तुम्हे हार कबूलना पड़ी हो पर तुम खेले शानदार।
खेल में हार जीत तो होती है, परन्तु फख्र है सामना करने में तुमने कोई कमी नहीं छोड़ी।
हमें तुम पर गर्व है।
: राजेश घोटीकर


बुधवार, 20 अगस्त 2008

विजेंदर का पदक पक्का



बीजिंग ओलिम्पिक के मुक्केबाजी रिंग में भारत के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। मुक्केबाज विजेन्दर ने आक्रमण और बचाव की कुशल रणनीति अपनाकर आज बीजिंग ओलिम्पिक में पदक पक्का करके भारतीय मुक्केबाजी में नया इतिहास रचा लेकिन उनके साथी जितेंदर कुमार अच्छे प्रयासों के बावजूद यह उपलब्धि हासिल करने से चूक गए। विजेन्दर ने मुक्केबाजी के मिडिलवेट (75 किग्रा) वर्ग में इक्वाडोर के अपने प्रतिद्वंद्वी कार्लोस गोंगोरा को आसानी से अंकों के आधार पर 9-4 से शिकस्त देकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया, जिससे उन्हें कम से कम कांस्य पदक मिलना तय है।
2-2 मिनट के सभी चार राउंड में विजेन्दर हावी रहे। उनका आक्रामण और सुरक्षात्मक शैली गजब की थी। बेहद आत्मविश्वास में दिखाई दे रहे विजेन्दर ने पहले राउंड में 2, दूसरे में 2, तीसरे में 3 और चौथे में 2 अंक प्राप्त किए जबकि गोंगोरा दूसरे, तीसरे राउंड में 1-1 तथा चौथे राउंड में 2 अंक ही प्राप्त कर सके। सेमीफाइनल में विजेन्दर को क्यूबा के इमेलियो कोरिया की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा लेकिन आत्मविश्वास से ओतप्रोत यह मुक्केबाज इसके लिए तैयार है। उन्होंने कहा ‍कि मैं मुकाबले दर मुकाबले आगे बढ़ रहा हूँ और मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक है। विजेन्दर से पहले जितेन्दर कुमार फ्लाइवेट (51 किग्रा) वर्ग के क्वार्टर फाइनल में कड़ी चुनौती पेश करने के बावजूद रूस के जॉर्जी बलाकशिन से 11-15 से हारकर बाहर हो गए। जितेन्दर के साथी मुक्केबाज अखिल कुमार (54 किग्रा) भी अंतिम आठ में पराजित हुए थे। विजेन्दर ने इन दोनों की हार से सबक लेकर आक्रमण और बचाव की रणनीति को बहुत अच्छी तरह से लागू किया। उन्होंने पहले दौर में ही 2-0 की बढ़त बनाकर अपने प्रतिद्वंद्वी पर हावी होने के संकेत दे दिए थे। हरियाणा के इस मुक्केबाज ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने दोनों हाथ से दनादन घूँसे जड़कर गोंगोरा को पस्त कर दिया।

भारत को कांस्य पदक की बधाई



ओलिम्पिक खेलों की कुश्ती मैट से एक अच्छी खबर आई है। भारत के सुशील कुमार 66 किलोग्राम वर्ग के अर्न्तगत रेबोचार्ज मुकाबले में रूस के बेत्रोव को तीन राउंड में से दो राउंड जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुँचे और वहाँ उन्होंने कजाकिस्तान के पहलवान को हराकर काँस्य पदक जीता।
काँस्य पदक के लिए रेबोचार्च के मुकाबले लड़े जाते हैं और सुशील क्वार्टर फाइनल कें कजा‍किस्तान के पहलवान को धराशायी करने में सफल रहे। 1952 के बाद यह पहला अवसर है जबकि कुश्ती में भारत ने काँस्य पदक जीता है। उस वक्त केडी जाधव ने यह कामयाबी हासिल की थी। रेबोचार्ज के मुकाबले तब होते हैं, जब किसी पहलवान का स्वर्ण और पदक के लिए पहुँच जाता है, तब उस पहलवान से परास्त हुए पहलवानों के बीच काँस्य पदक के लिए मुकाबला लड़ा जाता है। आज सुबह सुशील जिस पहलवान से परास्त हुए थे, उसके फाइनल में पहुँचने के साथ ही उनका रेबोचार्ज के लिए मुकाबला तय हो गया था। रेबोचार्ज में सुशील रूसी पहलवान बैत्रोव पर पूरी तरह हावी रहे और उन्होंने 3 राउंड में से 2 राउंड जीतकर क्वार्टर फाइनल की सीट बुक की थी और उन्हें काँस्य पदक जीतने के लिएहर हाल में कजाक पहलवान को हराना था। चूँकि नियमों की अधिक जानकारी पहलवानों को नहीं थी, लिहाजा यह माना जा रहा था कि कुश्ती में अब भारत की आखिरी उम्मीद राजीव तोमर ही बचे हैं, लेकिन सुशील कुमार की जीत ने एक बार फिर पदक की आस जगा दी थी। सुशील ने अपने हुनर से इन उम्मीदों को जाया नहीं होने दिया। जैसे ही वह काँस्य पदक जीते वैसे ही भारतीय खेमे में खुशी की लहर छा गई और महाबली सतपाल ने उन्हें सीने से लगा लिया। यहाँ पर याद रखने वाली बात यह है कि सुशील की चुनौती सिर्फ काँस्य पदक के लिए थी क्योंकि फाइनल में स्वर्ण और रजत के दावेदार पहले ही तय हो चुके थे। सनद रहे कि सुशील कुमार को क्वालीफिकेशन राउंड में बाय मिला था। पूर्व क्वार्टर फाइनल में उन्हें यूकेन के एंद्रेई स्टाडनिक ने 8-3 से शिकस्त दी। ओलिम्पिक कुश्ती में भारतीय पहलवान राजीव तोमर का अभियान भी अभी बाकी हैं, जो 120 किलोग्राम भार वर्ग में चुनौती पेश करेंगे।

शनिवार, 16 अगस्त 2008

हमारा सूरज और अन्तरिक्ष की जानी दुनिया

अन्तरिक्ष की जानी पहचानी दुनिया मे हमारा सूरज कितना बड़ा है ।

सोमवार, 11 अगस्त 2008

बिंद्रा ने इतिहास रच भारत को दिलाया सोना



बीजिंग। भारत के निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक खेलों की 10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा का स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही वह भारत के ओलंपिक इतिहास में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं।
ओलंपिक में हाकी को छोड़कर भारत कभी किसी खेल में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया था लेकिन बिंद्रा ने नया इतिहास रचते हुए न केवल स्वर्ण जीता बल्कि भारत को बीजिंग ओलंपिक की पदक तालिका में भी स्थान दिला दिया। 25 वर्षीय बिंद्रा ने भारत को 28 वर्षो के अंतराल के बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने वर्ष 1980 के मास्को ओलंपिक में हाकी का स्वर्ण जीता था। भारतीय निशानेबाजों से पदक की जो उम्मीदें लगाई जा रही थीं उसे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुके अभिनव ने पूरा कर दिखाया। वह निशानेबाज राज्यव‌र्द्धन राठौर से एक कदम आगे बढ़ गए जिन्होंने एथेंस ओलंपिक में रजत पदक जीता था। अभिनव ने 10 मीटर एयर रायफल स्पद्र्धा का स्वर्ण 700.5 के स्कोर के साथ जीता। उनके स्वर्ण जीतते ही वहां रेंज में मौजूद सभी भारतीय समर्थक खुशी से झूम उठे। मेजबान चीन के जू किनान ने 699.7 अंकों के साथ रजत पदक जीता जबकि फिनलैंड के हेनरी हक्कीनेन ने 699.4 अंक हासिल करके कांस्य पदक प्राप्त किया।
बिंद्रा की जीत से उत्साहित भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने कहा, 'वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज है और मुझे लगता है कि उसके इस प्रदर्शन से पूरे दल का मनोबल बढ़ेगा।' राष्ट्रीय कोच सन्नी थॉमस ने कहा, 'हम सभी काफी खुश हैं। वह कड़ी मेहनत करने वाला एथलीट है। पूरा निशानेबाजी दल जश्न मना रहा है। हमें उस पर गर्व है और यह तो सिर्फ शुरुआत है। अभिनव काफी धैर्य और संयम रखने वाला लड़का है और वह अति उत्साहित नहीं होता।' खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित बिंद्रा ने इससे पहले 2002 राष्ट्रमंडल खेलों की युगल स्पर्धा में स्वर्ण जबकि व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
इससे पहले गगन नारंग इसी स्पर्धा के फाइनल में प्रवेश करने से चूक गए थे। वह 600 में से 595 अंक जुटाकर नौवें स्थान पर रहे। नारंग ने 97, 100, 100, 100, 98, 100 के राउंड खेले।
आगे...
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फेल्प्स ने विश्व रिकार्ड के साथ सोना जीता
सायना व श्रीधर ने दिखाया भारत को रास्ता
मोनिका देवी को नहीं मिली इजाजत
ली-हैस व सानिया सोमवार को पेश करेंगे चुनौती
विजेंदर व सायना आगे बढ़े

शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

The heart is wiser than the intellect


शुभंकरों के नाम बताओ....

ओलिम्पिक खेल महाकुम्भ प्रारम्भ हो गया है। ओलिम्पिक रिंग्स के पाँचों रंगों के बारे में आप जानते ही होंगे।
खेलों के इस महाकुम्भ में विश्व भर के देश, उनके परिधान, राष्ट्र ध्वज, विविध खेल, खिलाडी और विजेताओं से परिचय होना कुतूहल बन जाया करता है।
चीन ने १६०० अरब डालर खर्च कर स्पर्धा की मेजबानी का बीडा उठाया है। बीजिंग २००८ के प्रतीक के साथ ही इस बार हमे शुभंकरों में शामिल पञ्च सदस्यीय दल ऐतिहासिक रूप से पहली बार प्रस्तुत हैं।
इन पाँचों केरेक्टर्स के नाम क्या हैं?

गुरुवार, 7 अगस्त 2008

हमारा ओलिम्पिक






खेल महाकुम्भ नजदीक क्या , कल ही से शुरू होने वाला है। हम भारतीय कितने प्रतिनिधि खिलाड़ियों के साथ किन किन खेलों में शामिल हो रहे हैं और कितने पदकों की दौड़ में शामिल हैं यह बात ब-मुश्किल कुछेक लोग जानते होंगे।



हम निश्चित तौर पर उन्ही खिलाड़ियों से आस लगाए बैठे होंगे जिन्होंने गई मर्तबा अपना जोरदार प्रदर्शन किया है , पदक भले ला पाने में असमर्थ रहे तो क्या? किंतु हम कोई नई प्रतिभा अवश्य ही नही ढूंढ पाये , यह भी तय ही है। हमारी हॉकी की टीम इस बार नही खेलेगी इसकी चिंता बीच में की गई और राजनितिक बखेडा खड़ा कर शान्ति बहाल है।
स्थानीय स्तर पर खेलने वाले खिलाडी गुपचुप तरीके आजमा कर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर जाने कैसे भी नौकरियां हासिल कर स्वार्थ सिद्ध कर चुके होंगे यह भी हमारे लिए गौण बातें हैं। देश के इतिहास को जाने तो ओलिम्पिक के ८८ वर्षीय समय में मात्र १५ पदक हमारे खाते में दर्ज हुए हैं , जो हमारा अब तक का रिकॉर्ड है।
खेलना ज्यादा जरुरी है या खेल नियम या दोनों ? खेल बजटप्रतियोगिता की नियमितता ?, प्रशिक्षकों की वयवस्था? इत्यादि प्रश्नों पर हमारी खामोशी भी बड़ी अचम्भे से भरी हुई है।
दोष निकालने वालों की संख्या अधिक है बजाय उपायों को दर्शाने के ।
मूलतः कुछ करने दिए जाने के निरंतर प्रयासों की उपेक्षा ही देश में देश-भक्ति और अन्तर-राष्ट्रीय विचारधारा में क्षीणता के कारक हैं। एक अड़चन हमारे विकृत विचार भी , जिसकी वजह से अपने सुख को पाना तो चाहते है परन्तु किसी को आगे बढ़ते देखना कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते।

मंगलवार, 5 अगस्त 2008

सत्र २००६-२००७ में क्लब को मिले अवार्ड




फाइव स्टार क्लब रिकग्निशन

आर आई प्रेसिडेंसियल साइटेशन

डी जी साइटेशन

बेस्ट प्रिसर्व प्लेनेट अर्थ अवार्ड

मंगलवार, 22 जुलाई 2008

एक नया स्टेडियम फीफा के लिए







राजेश घोटीकर


डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन ०८-०९


स्पोर्ट्स प्रमोशन (यूथ सर्विस)

सोमवार, 14 जुलाई 2008

नया प्रतिनिधित्व सत्र २००८ २००९ के लिए

औपचारिक पदभार प्रदान करने हेतु कार्यक्रम २० जुलाई २००८ को स्थानीय रोटरी सभागृह में।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्म विभूषण सम्मानित प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती मेहरुन्निसा परवेज़ हैं।विशेष आतिथ्य प्रबंधन गुरु श्री विजय सिंह का रहेगा।
पदभार अध्यक्ष २००७-२००८ अशोक गंगवाल द्वारा कालर प्रदान कर किया जाएगा।
मृत्यु पश्चात देहदान की घोषणा सत्र २००८-२००९ के नवागत अध्यक्ष यशवंत पावेचा के पिताश्री ने की है , उनका सम्मान इस समारोह में क्लब द्वारा किया जाएगा।
शिक्षा सत्र २००७-२००८ मे प्रदेश में नगर का गौरव बढ़ाने वाले विद्यार्थियों का सम्मान एवं शासकीय शालाओं को जरूरी सुविधा प्रदान किया जाना कार्यक्रम में शामिल रहेगा।

गुरुवार, 10 जुलाई 2008

क्लब का प्रतिनिधित्व शुरूआत से



क्रमानुसार अध्यक्ष
यशवंत पावेचा २००८-०९,
अशोक गंगवाल २००७-०८,
राजेश घोटीकर २००६-०७,
वीरेन्द्र सखलेचा २००५-०६,
अशोक डांगी २००४-०५ ,
हरजीत चावला २००३-०४,
प्रो मनोहर जैन १९-१९ ,
बाबूलाल सेठिया १९-१९ ,
विजेंद्र गादिया ,
शब्बीर डासन १९८९-९०,
अनिल झालानी १९८७-88






शनिवार, 5 जुलाई 2008

मण्डल पुरूस्कार हासिल हुए

रोटरी मण्डल ३०४० ने सत्र 0७-0८ के सेवा कार्यो के लिए क्लबों को पुरूस्कृत किया ।
मण्डल अवार्ड सेरेमनी का आयोजन रोटरी क्लब इंदौर ग्रैंड द्वारा मंडलाध्यक्ष के आतिथ्य में संपन्न हुआ। इसमे क्लब को आर आई प्रेसिडेंशियल साईंटेशन , आउटस्टेंडिंग परफॉर्मेंस अवार्ड फॉर प्रेजिडेंट, डी जी साईंटेशन तथा लगातार दूसरी बार बेस्ट प्रिसर्व प्लेनेट अर्थ प्रोजेक्ट अवार्ड हासिल हुए । नए रोटरेक्ट गठन का अवार्ड तथा सदस्यता वृद्धि का अवार्ड प्राप्त होना शेष रहा।

शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

हवा से बिजली ऐसे............








भूख से लडाई


भूख से हमारी लड़ाई पुरानी है ।
विश्व में गरीबी हटाने के प्रयासों को
सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों के माध्यम से लड़ा जा रहा है।
तनिक शामिल तो होइए ना ।

बुधवार, 2 जुलाई 2008

नया सत्र प्रारंभ

रोटरी का नया सत्र प्रारंभ हुआ। रोटरी मंडल ३०४० के मंडलाध्यक्ष रोटे आलोक बिल्लोरे, रोटरी क्लब रतलाम सेन्ट्रल के अध्यक्ष के रूप मे यशवंत पावेचा , सचिव विनोद मूणत , कोषाध्यक्ष मुकेश घोटा , उपाध्यक्ष सुशील गोरेचा , अखिलेश गुप्ता , सह सचिव राजेंद्र दख , सभा सचेतक पंकज बिलाला ने कार्यकाल प्रारंभ किया।

शुक्रवार, 27 जून 2008

तपती धरती पर


छत्र घनत्व को तरसती दुनिया कहती वृक्ष चाहिए।

सन्देश चित्र से ..........

क्लब की पर्यावरण पिकनिक

क्लब द्वारा पर्यावरण पिकनिक का आयोजन सत्र ०७-०८ के अंतिम दिन २९ जून को किया जा रहा है। सैलाना स्थित खरमोर अभयारण्य मे उक्त पिकनिक का आयोजन वर्षा के आगमन को उल्लासित स्वरुप प्रदान करने के लिए होगा।

गुरुवार, 26 जून 2008

रोटरी शेयर्स प्रिज़र्व प्लेनेट अर्थ अवार्ड प्रदान


रोटरी मंडल 3040 ने वसुंधरा संरक्षण के लिए एक प्रतियोगीता का आयोजन मंडल सभापति वसुंधरा संरक्षण रोटे राजेश घोटीकर के निर्देशन में किया। रोटरी शेयर्स प्रिज़र्व प्लेनेट अर्थ अवार्ड इस आयोजन के विजेता को प्रदान किए गए । मंडल अधिवेशन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि आर आई पी आर रोटे पांडुरंग शेट्टी ने उक्त पुरस्कार क्लब अध्यक्षों के माध्यम से विजेताओं को पहुंचाएं । चित्र में बाएं से मंडल सभापति वसुंधरा संरक्षण रोटे राजेश घोटीकर , मंड्लाध्यक्ष रोटे किर्तिकांत शेठ , श्रीमती शेठ , आर आई पी आर रोटे पांडुरंग शेट्टी , मनोनीत मंड्लाध्यक्ष रोटे आलोक बिल्लोरे क्लब अध्यक्ष रोटे कौल्हेकर को अवार्ड प्रदान करते हुवे दिखाई दे रहे हैं।

प्रीज़र्व प्लेनेट अर्थ




रोटरी अंतर-राष्ट्रीय द्वारा धरती बचाने का आव्हान है।
विश्व प्रकृति निधि का सन्देश इस नज़र से