गुरुवार, 25 नवंबर 2010

नवजात हिप्पो की मौत से उपजे चंद सवाल


जनम से कुछ ही मिनटों पश्चात लिया गया नंदा एवं नवजात का फोटोग्राफ

कल खबर पढ़ी की हिप्पो ने इन्दोर चिड़ियाघर में एक शावक को जन्म दिया है । सुनकर ख़ुशी हुई ही थी कि अगले ही दिन यह पढ़ा कि यह नवजात बच्चा माँ के पैरों तले रौंदा गया । समाचार में लिखा गया कि माँ घांस खाते वक्त बच्चे का ध्यान नहीं रख सकी । फिर जब चिड़ियाघर कि कार्य प्रणाली पर रूमनी घोष से चर्चा हुई तो मेरा स्टेंड था कि जनम के के बाद कुछ दिन तक माँ और शिशु को अईसोलेशन में रखा जाना चाहिए था । दरियाई घोड़े का प्राकृतिक वातावरण बेहद अलग किस्म का है । दक्षिण अफ्रीका के देशों में इसके प्राकृतिक आवास में इसे मगरमच्छ जैसे जीव के साथ साझा होकर अपना जीवन पानी और जमीन पर बिताना होता है । वहां जब यह बच्चे पैदा करते हैं तब बच्चे कि सुरक्षा के लिए यह बड़ी ही आक्रामक हो जाती है किसी भी जीव को वह अपने तथा बच्चे के समीप बर्दाश्त नहीं करती है । मगरमच्छ से मुकाबले कि अनेकों घटनाएं वीडियो में दर्ज हैं । इन्दोर चिड़ियाघर के अधिकारी चिड़ियाघर से कमाई की ताक में रहते हैं और उन्हें वहां रखे गए जीवों के बारे में पर्याप्त जानकारियाँ भी हैं एसा महसूस नहीं होता । एक हिप्पो की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त जगह नहीं होने के बावजूद चिड़ियाघर को फ्रेंडशिप एक्सचेंज में मिले प्राणी की देख रेख का जिम्मा सौपा जाना भी संदेह के घेरे में है । वन्य जीवों के लिए कार्य करने वाली संस्थाए इन्दोर में निश्चित होंगी मगर अब तक उनकी चुप्पी देखकर हैरानी होती है ।
जैसा की मुझे सूत्रों से पता चला उनके अनुसार दरियाई घोड़े को विशिष्ट आकर्षण का केंद्र बनाने का प्रयास भी हुआ है । हिप्पो द्वारा प्रजनन की ख़बरों को उछाला गया है। समाचार का केंद्र बनाने का प्रयास हुआ है । चिड़ियाघर प्रशासन इन बातों को नकारता है । उनके अनुसार हिप्पो को पर्याप्त जगह उपलब्ध है । शेल्टर रूम भी सामान्य है । प्रभारी अधिकारी का यह बयान उचित नहीं लगता है । जू अथोरिटी ऑफ़ इण्डिया द्वारा यहाँ का निरिक्षण ही इन सारी विसंगतियों से पर्दा हटा सकेगा ।
हिप्पो भारत के चिड़ियाघर में रखे जरूर गए हैं मगर उनके लिए बनाए गए अंतरराष्ट्रीय नियमो का पालन हमारे लिए जरूरी था । इन नियमों का पालन नहीं हुआ है जो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने हमें शर्मसार करने के लिए पर्याप्त है ।
जू से सम्बंधित अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर इस बाबत कार्यवाही होनी चाहिए । इस बात की वकालत बर्ड्स वाचिंग ग्रुप भी करता है।